भारतीय संविधान की विशेषताएं

एक्ट ऑफ सेटेलमेंट 1781 ईसवी:-  रेग्युलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने के लिए |   इस  एक्ट  का प्रावधान किया गया | इस एक्ट के अनुसार कोलकाता की सरकार को बिहार, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का प्राधिकार प्रदान किया गया|

1784  ईसवी का  पिट्स इंडिया एक्ट:- इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ  1- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स व्यापारिक मामलों के लिए , 2- बोर्ड ऑफ कंट्रोलर राजनीतिक मामलों के लिए|

1793  ईसवी का चार्टर अधिनियम :- इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय राजस्व में से देने की व्यवस्था की गई|

1813 ईसवी का चार्टर अधिनियम :- इस अधिनियम की मुख्य विशेषता है - 1. कंपनी के अधिकार पत्र को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया|
2- कंपनी के भारत के साथ व्यापार करने के एकाधिकार को छीन लिया गया किंतु उसे चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 वर्षों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा |
3- कुछ सीमाओं के अधीन सभी ब्रिटिश नागरिकों के लिए भारत के साथ व्यापार खोल दिया गया |

1833  ईसवी का चार्टर अधिनियम :- इस अधिनियम के मुख्य विशेषताएं हैं -
1-इसके द्वारा  कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णता समाप्त कर दिए गए |
2- अब कंपनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना रह गया |
3- बंगाल के गवर्नर जेनरल को भारत का गवर्नर जेनरल कहा जाने लगा |
4 - मुंबई तथा मंत्रा से की परिषदों की विधि निर्माण शक्तियों को वापस ले लिया गया|
5- विधिक  परामर्श हेतु गवर्नर जेनरल की परिषद में विधि सदस्य के रूप में चौथे सदस्य को शामिल किया गया|
 6-भारत में दास प्रथा को विधि विरुद्ध घोषित कर दिया गया तथा 1843  ईसवी में उसका उन्मूलन कर दिया गया|
7-अधिनियम की धारा - 87 के तहत कंपनी के अधीन पद धारण करने के लिए किसी व्यक्ति को धर्म ,जन्मस्थान, मूल वंश या रंग के आधार पर अयोग्य ठहराए जाने का प्रबंध किया गया |
8-गवर्नर जनरल की परिषद को राजस्व के संबंध में पूर्ण अधिकार प्रदान करते हुए गवर्नर जनरल को संपूर्ण देश के लिए एक ही बजट तैयार करने का अधिकार दिया गया|
9- भारतीय कानूनों का वर्गीकरण किया गया तथा इस कार्य के लिए विधि आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था की गई लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया |

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